योग ऐसा है के अगर पथरी मुर्गी के अंडे के बराबर भी हो तो भी ये उसको निकाल देता है. यह योग आल इंडिया आयुर्वेदिक एंड तिब्बी कांफ्रेंस के वार्षिक उत्सव पर बदायूं के एक हकीम साहब ने बताया. वो अपने साथ 300 पथरियां लेकर आये थे जो उन्होंने भरी सभा में दिखलाई थी. उनका कथन था के चाहे पथरी मुर्गी के अंडे के बराबर ही क्यों ना हो इस दवा से स्वतः टूट टूट कर निकल जाती है. उन्होंने यह योग मानवता के हित के लिए विशेष रूप से दिया है. आइये जाने ये विशेष योग.
योग – संग यहूद जिसको हजरुल यहूद भस्म भी कहा जाता है (यह किसी भी औषिधि केंद्र से बड़ी आसानी से मिल जाती है) 50 ग्राम, कलमी शोरा 100 ग्राम.(यह भी आयुर्वेदिक दवा केंद्र से मिल जायेगा), मूली का रस 3 किलो.
इन तीनो औषधियों को एकत्रित कर लीजिये. कलमी शोरे को दो हिस्सों में 50-50 ग्राम बाँट लीजिये, और मूली के रस को 6 हिस्सों (500 – 500 ग्राम.) में बाँट लीजिये अभी सब से पहले एक मिटटी के बर्तन में 50 ग्राम कलमी शोरा डाल दीजिये, इसके ऊपर संगेयहूद भस्म डाल दीजिये, अभी इसके ऊपर दोबारा बचा हुआ 50 ग्राम कलमी शोरा डाल दीजिये इस पर आधा किलो मूली का रस डाल दीजिये.
एक ईंटों का चूल्हा निर्माण कर लीजिये जिसमे 5 किलो उपले ले कर (उपले अर्थात गोबर की पाथियाँ जो अक्सर गाँवों में चूल्हा जलाने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं) अग्नि जला लीजिये. अभी मिटटी के बर्तन को जिसमे सभी सामग्री डाली हो उपलों की आग में आंच दीजिये. आग शांत होने पर दोबारा इसमें 500 ग्राम. मूली का रस डाल दीजिये और फिर से इसी प्रकार 5 किलो उपलों की आग में पकाएं. ऐसा 6 बार तक करना है जिस से पूरा मूली का रस डाल देना है. पूरी आंच देने के बाद दवा तैयार है.
अभी इस दवा का सेवन भी उन्होंने जिस विधि से बताया वो बता रहें हैं.
उपरोक्त बनी हुयी दवा को 2 ग्रेन लेकर, यवक्षार 2 ग्रेन, मूलीक्षार 2 ग्रेन इन तीनो को मिलाकर शरबत बजूरी के साथ दिन में तीन बार प्रतिदिन खिला दिया करें. गुर्दे व् मसाने की पथरी सरलतापूर्वक निकल जाती है. यवक्षार, मूलीक्षार, शरबत बजूरी, कलमी शोरा, सगेयहूद (हजरुल यहूद भस्म) सब किसी विश्वसनीय दूकान से अच्छी फार्मेसी की लेवें
[1 ग्रेन 0.06 Gram होता है. इस प्रकार उपरोक्त दवा 2 ग्रेन = 0.12 ग्राम तीनो को लेनी है अर्थात तीनो को मिलाकर 0.36 ग्राम बनती है.] ज्यादा से ज्यादा इसको 1 ग्राम तक लीजिये.
Comments
Post a Comment