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अब आगे नहीं बनेगा वेतन आयोग

अब आगे नहीं बनेगा वेतन आयोग 
तो अब नहीं बनेगा वेतन आयोग? : केंद्रीय कर्मचारियों के लिए हर दस साल पर नया वेतनमान देने की परंपरा सातवें वेतन आयोग के साथ...........
नई दिल्ली : केंद्रीय कर्मचारियों के लिए हर दस साल पर नया वेतनमान देने की परंपरा सातवें वेतन आयोग के साथ समाप्त हो सकती है। वेतन आयोग ने अपनी जो रिपोर्ट सरकार को सौंपी है इसमें ऐसी सिफारिश भी की गई है। आयोग के अनुसार हर दस साल पर कर्मचारियों के वेतनमान को नए सिरे से बनाने की परंपरा की जगह इसमें नियमित अंतराल पर बदलाव किया जाना चाहिए।
आयोग के अनुसार वेतन को खाद्य और दूसरी जरूरी चीजों की महंगाई के साथ जोड़ा जाए और नियमित अंतराल पर उनमें आए बदलाव से पे मैट्रिक्स को अपडेट किया जाए। अभी हर दस साल में कर्मचारियों को नया वेतनमान मिलता है और इस दौरान इन्हें महंगाई भत्ते बढ़ने का फायदा मिलता है।
वेतन में भारी अंतर
आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन और उसी अनुरूप काम करने वाले प्राइवेट कंपनी के कर्मचारियों के वेतन में काफी अंतर है। इसके लिए आईआईएम की ओर से किए गए एक सर्वे का हवाला दिया गया है। पे कमिशन की सिफारिशें लागू होने के बाद लगभग 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को 1 जनवरी 2016 से नए वेतनमान का लाभ मिलना है। इसमें पेंशनार्थी भी शामिल हैं।
काम का बोझ बढ़ा
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2001 में नई नियुक्ति पर बंदिश का असर दिखा है। कई मंत्रालयों और विभागों में कर्मचारियों की तादाद में कमी हुई है और इसका असर कार्यक्षमता पर भी पड़ा है। आयोग ने कर्मचारियों की संख्या के लिए अमेरिका से तुलना की है। जहां भारत में हर एक लाख की आबादी पर 139 सेंट्रल कर्मचारी हैं तो अमेरिका में यही तादादद 668 है। सबसे अधिक कमी रेलवे कर्मचारियों की हुई है। 1957 में कुल कर्मचारियों में 57 फीसदी रेलवकर्मी थे लेकिन आज यह औसत घटकर 40 फीसदी तक आ गया है। जबकि सबसे अधिक नयी नियुक्ति होम मिनिस्ट्री में हुई। आयोग ने इस बात पर चिंता जताई है कि जिस तरह हर साल 89 लाख नए कामगार तैयार हो रहे हैं,उस अनुरूप नौकरी के नए अवसर पैदा करने होंगे।
कैसे तय हुई मिनिमम सैलरी:-
आयोग ने न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये तय किया है। रिपोर्ट की दिलचस्प बात है कि न्यूनतम वेतन तय करने से पहले किसी कर्मचारी की न्यूनतम जरूरत और उसमें आने वाले खर्च को ध्यान में रखा गया है। आयोग की अनुशंसा मानी गई तो न्यूनतम वेतन 1 जनवरी 2016 से मिलेगा। वेतन आयोग की ओर से जब दाल 90 रुपये, चावल 25 रुपये और मकान भाड़ा 524 रुपये में मिले तब की सूरत में इसे तय किया गया है। लेकिन अगर आज की तारीख में ही देखें तो दाल 180 रुपये किलो तो चावल 50 रुपये किलो मिल रहा है। अगर इसे आज की महंगाई पर देखें तो न्यूनतम वेतन 23 हजार से अधिक हो जाएगा।

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